ज्ञान मुद्रा या ध्यान मुद्रा : अंगुष्ठ एवं तर्जनी अंगुली के अग्रभागों के परस्पर मिलाकर शेष तीनों अँगुलियों को सीधा रखना होता है।
बिना व्यायाम के शरीर अस्वस्थ हो जाता है,शरीर को चलाने के लिए जैसे आहार की ज़रूरत है वैसे ही आसान-प्राणयम आदि व्यायाम ज़रूरी है.नियमित रूप से व्यायाम करने से दुर्बल,स्वस्थ ओर सुंदर बन जाता है.मधुमेह,मोटापा,वात रोग.गेस,मानसिक तनाव ये सभी रोग का कारण शारीरिक श्रम का अभाव है.व्यायाम के कई प्रकार है इसमे आसन-प्राणायाम सर्वोतम है.
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