१. दण्डासन में बैठकर बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को नितम्ब के पास लगाएँ।
२. दायें पैर को बाएँ के घुटने के पास बाहर की ओर भूमि पर रखें।
३. बाएँ हाथ को दायें घुटने के समीप बाहर की और सीधा रखते हुए दाएँ पैर को पंजे को पकड़ें।
४. दायें हाथ को पीठ के पीछे से घुमाकर पीछे की ओर देखें।
५. इस प्रकार से दूसरी ओर से भी आसन करे।
लाभ:
ये आसन से गुर्दे( Kidney),मधुमेह(Diabetes) एवं कमरदर्द(Spinal cord) लाभदायी है।
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