१. पद्मासन में बैठकर दोनों हाथों को पीठ के पीछें लेजाकर दाएं हाथ से बाएं हाथ को कलाई को पकड़ें।
२. श्वास बाहर छोड़ते हुए भूमि पर ठोड़ी स्पर्श करें ,दृश्टि सामने रहे। ठोड़ी यदि भूमि पर नहीं लगती है तो यथाशक्ति सामने झुकें।
लाभ :
पेट के लिए उत्तम आसन है। जठराग्नि को प्रदीप्त करता है तथा गैस,अपचन व् कब्ज आदि रोगो में लाभ मिलता है। पेन्क्रियाज को क्रियाशील करके डायबिटीज को नियंत्रित करने में लाभकारी है।
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