१. दण्डासन में बैठकर दाहिने पैर को बाये पैर की जंघा पर रखे। इसी प्रकार बायें पैर को दाहिने जंघे पर स्थिर करें। मेरुदण्ड सीधा रहे। सुविधानुसार बाएं पैर को दायें पैर की जंघा पर भी रख कर दायें पैर को बाएं जंघा पर स्थिर कर सकते है।
२. दोनों हाथों की अज्जलि बनाकर (बायाँ हाथ निचे दायां हाथ ऊपर) गोद में रखें। नासिकाग्र अथवा किसी एक स्थान पर मन को केंद्रित करके इष्ट देव परमात्मा का ध्यान करें।
३. प्रारम्भ में एक दो मिनिट तक करें। फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।
लाभ :
ध्यान के लिए उत्तम आसान है। मन की एकाग्रता व् प्राणोत्थान में सहायक है। जठरग्नि कप तीव्र करता है। वातव्याधि में लाभदायक हैं।
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