विधिः
मध्यमा अंगुली आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व करती है,इसको अंगुष्ठ के मूल में लगाकर अंगूठे से हल्का दबाकर रखते है। शेष अंगुलियाँ सीधी होनी चाहिए।
लाभ:
इस मुद्रा से कान का बहना ,कान में दर्द और कान दर्द के सभी रोगो के लिए कम से कम प्रति दिन एक घंटा करने से लाभ मिलता है। हदय रोग ठीक होते है और मसूढो की पकड़ मजबूत होती है। गले के रोग और थाइराइड रोग में लाभ मिलता है।
सावधानी: भोजन करते समय तथा चलते फिरते यह मुद्रा न करें
सावधानी: भोजन करते समय तथा चलते फिरते यह मुद्रा न करें
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