हम सभी जानते है ,घुटने के दर्द दुनिया भर के बच्चो को और वयस्कों में पाया जाता है ,जो एक आम बीमारी है। असल में घुटने की बीमारी उम्र के साथ बढ़ती है।घुटने के दर्द में हम दवा से पहले के स्तर में घरेलु उपचार का उपयोग करते है ,लेकिन कभी कभी आपको चलने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है इस रूप में परामर्श चिकित्सक आवश्यक होगा।
जोड़ो के पुराने दर्द के इलाज के लिए योग बहुत विशेष रूप से लाभदाई है। घुटने के दर्द के लिये सकारात्मक परिणाम के लिए दिए गए आसन क्रमशः करना जरुरी है। घुटने के लिए विशेष रूप से जो आसन दिए गए है, जैसे के ताड़ासन(Tadasana),मकरासन (Makrasana),वीरासन(Veerasana),त्रिकोणासन (Trikonasana).
ताड़ासन(Tadasana)
विधिः
पूर्ववत् खड़े होकर दोनों हाथो को पाश्वभाग से दीर्घ श्वास भरते हुए ऊपर उठाए। जैसे जैसे हाथ ऊपर उठे वैसे वैसे ही पैर की एड़िया भी उठी रहनी चाहिए। शरीर का भार पंजो पर रहेगा एवं शरीर ऊपर की ओर पूरी तराह से तना होगा।
लाभ
यह आसन घुटनो के स्नायु को मजबूत करता है ,यह आसान कद वृद्धि के लिए सर्वोत्तम है। इससे समस्त शरीर के स्नायु ओ को सक्रीय एवं विकसित करता है।
मकरासन(Makrasana)
विधिः
पेट के बल लेट जाइए। दोनों हाथ को कोहनियों को मिलाकर स्टैंड बनाते हुए हथेलियों को ठोडी के निचे लगाइए। छाती को ऊपर उठाइए। कोहनियों एवं पैरों को मिलाकर रखें।
१. स्लिपडिस्क(SLEEPDISC) एवं सियाटिका(SIYATIKA) दर्द मैं विशेष उपयोगी है।
२. अस्थमा(Asthma) व् फेफड़े(Lung) सम्बन्धी किसी भी विकार तथा घुटनों(knee) के दर्द के लिए लाभकारी है।
वीरासन(Veerasana)
विधिः
१. समतल भूमि पर नरम आसन बिछाकर वज्रासन की स्थिति में बैठ जाएं।
२. अब दोनों पैरो को थोड़ा फैलायें और हिप्स को भी भूमि पर टीकाकार सीधे में रखे।
३. अब दोनों हाथों को घुटनो पर सीधा तानकर रखें।
४. कंधो को आराम की मुद्रा में रखे और तनकर बैठे। सिर को सीधा रखें और सामने की और देखे।
लाभ:
जंघा और पावं शक्तिशाली बनते है। शरीर का भारीपन दूर होता है। वीरासन योग में जंघाओं,घुटनो,पैरों एवं कोहनियो को आराम मिलता है। शरीर को सुडोल बनायें रखने के लिए ये योग उपयोगी है।
त्रिकोणासन(TRIKONASANA)
विधिः १. दोनों पैरो के बीच में लगभग डेढ़ फुट का अन्तर रखते हुए सीधे खड़े हो जाएँ। दोनों हाथ कंधो के समानान्तर पाश्व भाग मे खुले हुए हों।
२. श्वास अन्दर भरते हुए बाएं हाथ को सामने से लेते हुए बाएं पंजे के पास भूमि पर टिका दें अथवा पंजे को एड़ी का पास लगायें तथा दाएं हाथ को ऊपर की तरफ उठाकर गर्दन को दाए ओर घुमाते हुए दाए हाथ को देखें ,फिर श्वास छोड़ते हुए पूर्व स्थिति में आकर इस तरह अभ्यास को बार बार करें।
लाभ: घुटनो को आराम मिलता है और कटी प्रदेश लचीला बनता है। पाश्वा भाग की चर्बी को कम करता है। छाती का विकास होता है।
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