Thursday, January 1, 2015

कमर दर्द(मेरुदंड आदि)(Spinal Cord Disease)

        यहां जो भी आसन का वर्णन करेंगे वे सभी आसन कमर दर्द ,सर्वाइकल(Cervical), स्पोंडोलाइटिस,स्लिपडिस्क(SLEEPDISC),सियाटिका(SIYATIKA) एवं कमरदर्द मेरुदंड से सम्बंधित सभी रोगो को दूर करने के लिए उपयोगी है। 

सावधानियां :-
       जिन आसनों में पेट अधिक बल पड़ता है उन आसनों को अल्सर,आंत्र टी.बि.,हर्निया ,यकृत(liver) रोगी न करें। 


चक्रासन(Chakrasan)
विधिः 
१.      पीठ के बल लेट कर घुटनों को मोड़िए। एड़ियां नितम्बों के समीप लगी हुई हों।
२.     दोनों हाथों को उल्टा करके कंधो के पीछे थोड़े अंतर पर रखें। 
३.     श्वास अन्दर भरकर कटिप्रदेश एवं छाती को ऊपर उठाइये। 
४.     धीरे-धीरे हाथ एवं पैरों को समीप लाने का प्रयत्न करें।
५.     आसान छोड़ते शरीर को ढीला करते हुए कमर भुनी पर टिका दें। इस प्रकार ये आसन ३-४ बार करें।      



लाभ:
      रीड की हड्डी को लचीला बनाकर वृद्धावस्था नहीं आने देता। शरीर में स्फूर्ति,शक्ति एवं जठर,आंतो को सक्रीय करता है। कटिपिडा,श्वास रोग(Dyspnea), सिरदर्द(Headache), नेत्र विकारों(eye disorders)सर्वाइकल व् स्पोंडोलाइटिस में विशेष लाभकारी है। हठपैरों की मासपेशियों को सबल बनाता है। महिलाओं के गर्भाशय के विकारों को दूर
करता है। 


सेतुबन्ध आसन(Setubandh Asan)

१.     सीधे लेट जाइए। दोनों घुटनों को मोड़कर रखिए।  कटिप्रदेश को ऊपर उठाकर दोनों हाथों को कोहनी के बल खड़े करके कमर के निचे लगाइए। 
२.     अब कटी को ऊपर स्थिर रखते हुए पैरो को सीधा कीजिए। कंधे एवं सर भूमि पर ठीके रहें। 




३.     वापस आते समय नितम्ब एवं पैरो को धीरे-धीरे जमीं पर टेकिए। हाथों को एकदम कमर से नहीं हटाइए। इस आसान को ४-५ बार किया जा सकता है। 
लाभ:
         स्लिप डिस्क,कमर एवं ग्रीवा-पीड़ा व् उदर रोगो में विशेष लाभप्रद है।


मर्कटासन-१ (Markatasan-1)
१.     सीधे लेटकर दोनों हाथों को कंधों के साथ समानान्तर फैलाइए। हथेलियाँ आकाश की ओर खुली हों। फिर दोनों पैरों को घुटनो से मोड़कर
नितम्ब के पास रखें।
२.     अब घुटनों को दाएं ओर जुकाते हुए दाएं घुटने को भूमि पर टिका दें। बायां घुटना दाएं घुटने पर टिका हुआ हो तथा दाएं पैर की एड़ी पर बाएं पैर की एड़ी टिकी हुए हों। गर्दन को बाई ओर घुमाकर रखें। इसी तरह से बाई और से भी आसन करें। 



लाभ :
         कमरदर्द,सर्वाइकल(Cervical), स्पोंडोलाइटिस,स्लिपडिस्क(SLEEPDISC),सियाटिका(SIYATIKA) में विशेष लाभकारी हैं। पेटदर्द(Abdominal pain),दस्त(diarrhea),कब्ज(constipation) एवं गैस को दूर करता है। नितम्ब(hip), जोड़ो(joint) के दर्द में लाभकारी है। 


मर्कटासन(Markatasan)-२ 
विधिः 
१.     सीधे लेटकर दोनों हाथों को कंधों के साथ समानान्तर फैलाइए। हथेलियाँ आकाश की ओर खुली हों।दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर नितम्बों के पास रखें। पैरों में लगभग डेढ़ फुट का अन्तर हो। 
२.     दायें घुटनो को दाए और जुकाते हुए भूमि पर टिका दें। इतना झुकाइए की बायां घुटना दाएं पंजे के पास पहुंच जाये तथा बाएं घुटने को भी दाई ओर दाएं घुटने के पास भूमि पर टिका दीजिए। गर्दन को बाई ओर मोड़कर रखें। इस तरह दूसरे पैर से भी करें। 


लाभ :
         कमरदर्द,सर्वाइकल(Cervical), स्पोंडोलाइटिस,स्लिपडिस्क(SLEEPDISC),सियाटिका(SIYATIKA) में विशेष लाभकारी हैं। पेटदर्द(Abdominal pain),दस्त(diarrhea),कब्ज(constipation) एवं गैस को दूर करता है। नितम्ब(hip), जोड़ो(joint) के दर्द में लाभकारी है। 
मर्कटासन(Markatasan)-३ 
विधिः 
१.     सीधे लेट कर दोनों हाथों को कन्धों के  समानान्तर फैलाइए। हथेलियाँ आकाश की ओर खुली हों। 
२.     दायें पैर को १० डिग्री उठाकर धीरे-धीरे बाएं हाथ के पास ले जाये,गर्दन को दाई ओर मोड़कर रखिए। 
३.      कुछ समय इस स्थिति में रहने के बाद पैर को ९० डिग्री पर सीधे उठाकर धीरे-धीरे भूमि पर टिका दें। इसी तरह बाएं पैर से इस तरह आसन करें। 
४.    अंत में दोनों पैरों को एक साथ ९० डिग्री पर उठाकर बाई ओर हाथ के पास रखें। गर्दन को विपरीत दिशा में मोड़ते हुए दाइ ओर देखें कुछ समय पैरों को सीधा कीजिए।
५.      इसी तरह दोनों पैरों को उठा कर दाई ओर हाथ के पास रखें। गर्दन को बाई ओर मोड़ते हुए बाई और देखें। इस प्रकार ३-५ बार करें। 

लाभ : कमरदर्द,सर्वाइकल(Cervical), स्पोंडोलाइटिस,स्लिपडिस्क(SLEEPDISC),सियाटिका(SIYATIKA) में विशेष लाभकारी हैं। पेटदर्द(Abdominal pain),दस्त(diarrhea),कब्ज(constipation) एवं गैस को दूर करता है। नितम्ब(hip), जोड़ो(joint) के दर्द में लाभकारी है। 

कटी उत्तानासन(Kati Utanasan)
विधिः 
१.     शवासन में लेट कर दोनों पैरों को मोड़कर रखकें। दोनों हाथ दोनों ओर पाश्व मैं फैलाकर रखें। 
२.     श्वास अन्दर भरते हुए पीठ को ऊपर की ओर खींचे। नितम्ब तथा छोड़ते हुए पीठ को निचे भूमि पर दबाकर पूरा सीधा कर दें। इस प्रकार यह अभ्यास ८-१० बार करें। 


Heena-asana-pranayam

लाभ:  
        स्लिपडिस्क(SLEEPDISC),सियाटिका(SIYATIKA) एवं कमर दर्द मैं विशेष उपयोगी है। 


मकरासन(Makrasana)
१.     पेट के बल लेट जाइए। दोनों हाथ को कोहनियों को मिलाकर स्टैंड  बनाते हुए हथेलियों को ठोडी के निचे लगाइए। छाती को ऊपर उठाइए। कोहनियों एवं पैरों को मिलाकर रखें। 


अब श्वास भरते हुए पैरो को क्रमशः पहले एक-एक तथा बाद में दोनों पैरों को एक साथ मोड़ना है। मोड़ते समय पैरो को एड़ियां नितम्ब से स्पेर्श करें। श्वास बाहर निकालते हुए पैरों को सीधा करें। इस प्रकार से ये आसान २०-२५ बार करें। 



लाभ:
१.     स्लिपडिस्क(SLEEPDISC) एवं सियाटिका(SIYATIKA)  दर्द मैं विशेष उपयोगी है।
२.     अस्थमा(Asthma) व् फेफड़े(Lung) सम्बन्धी किसी भी विकार तथा घुटनों(knee) के दर्द के लिए लाभकारी है। 


भुजंगासन(Bhujangasana)

विधिः 
१.     पेट के बल लेट जाइए। हाथों की हथेलियाँ भूमि पर रखते हुए हाथों को छाती के दोनों ओर रखें। कोहनियां ऊपर उठी हुई तथा भुजाएं छाती से सटी हुई हिनी चाहिए। 
२.     पैर सीधे तथा पंजे आपस में मिले हुए हों। पंजे पीछे की ओर तने हुये भूमि पर ठीके हुए हों। 
३.     श्वास अन्दर भरकर छाती एवं सर को धीरे-धीरे ऊपर उठाइए। नाभि के पीछे वाला भाग भूमि पर टिका रहे। सर को ऊपर उठाते हुये ग्रीवा को जितना पीछे की ओर मोड़ सकते हैं, मोड़ना चाहिए। इस स्थिति में करीब ३० सेकंड रहना चाहिए। 
४.     इस प्रकार ये आसन  यथाशक्ति करें। 
लाभ: 
   कमरदर्द,सर्वाइकल(Cervical), स्पोंडोलाइटिस,स्लिपडिस्क(SLEEPDISC) समस्त मेरुदण्ड(Spine) के रोगो में ये आसन लाभकारी है। 


धनुरासन (Dhanurasan)


विधिः 
१.     पेट के बल लेट जाइए। घुटनों से पैरों को मोड़ कर एड़ियां नितम्ब के ऊपर रखें। घुटने एवं पंजे आपस में मिले हुए हों। 
२.     दोनों हाथों से पैरों के पास से पकड़िये। 
३.     श्वास को अन्दर भरकर  घुटनों एवं जंघावो को एक के बाद एक उठाते हुये ऊपर की ऑर तने , हाथ सीधे रहें। पिछले हिस्से को उठाने  के बाद पेट के ऊपरी भाग छाती,ग्रीवा एवं सर को भी ऊपर उठाइए। नाभि एवं पेट के आसपास का भाग भूमि पर ही टिके रहे। शेष भाग ऊपर उठा होना चाहिए। शरीर की आकृति धनुष के समान हो जाएगी। इस स्थिति में १० से २५ सेकंड तक रहें। 
४.     श्वास छोड़ते हुए क्रमशः पूर्व स्थिति में आ जाइए। श्वास-पश्वास के सामान्य होने पर ३ - ४  बार करे।   



लाभ: 
नाभि का टलना दूर होता है। स्त्रियों की मासिक धर्म(menstrual) सम्बन्धी रोग में लाभ मिलता है।कमरदर्द,सर्वाइकल(Cervical), स्पोंडोलाइटिस,स्लिपडिस्क(SLEEPDISC) समस्त मेरुदण्ड(Spine) के रोगो में ये आसन लाभकारी है। 

 











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