१. पीठ के बल लेट कर घुटनों को मोड़िए। एड़ियां नितम्बों के समीप लगी हुई हों।
२. दोनों हाथों को उल्टा करके कंधो के पीछे थोड़े अंतर पर रखें।
३. श्वास अन्दर भरकर कटिप्रदेश एवं छाती को ऊपर उठाइये।
४. धीरे-धीरे हाथ एवं पैरों को समीप लाने का प्रयत्न करें।
५. आसान छोड़ते शरीर को ढीला करते हुए कमर भुनी पर टिका दें। इस प्रकार ये आसन ३-४ बार करें।
रीड की हड्डी को लचीला बनाकर वृद्धावस्था नहीं
आने देता। शरीर में स्फूर्ति,शक्ति एवं जठर,आंतो को सक्रीय करता है। कटिपिडा,श्वास रोग(dyspnea), सिरदर्द(headache), नेत्र विकारों(eye disorders)सर्वाइकल व् स्पोंडोलाइटिस में विशेष लाभकारी है। हठपैरों की मासपेशियों को सबल बनाता है। महिलाओं के गर्भाशय के विकारों को दूर करता है।
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