Saturday, December 6, 2014

भ्रामरी प्राणायाम(BHRAMRI PRANAYAM)





विधि:
        श्वास पूरा अन्दर भर कर मध्यमा अंगुलियों से नासिका के मूल में आँख के पास दोनों ओर से थोड़ा दबाएँ, अंगूठो के द्वारा दोनों कानो को पूरा बन्ध कर ले। अब भ्रमर की भाँति गुंजन करते हुए नाद रूप में ओ३म का उच्चारण करते हुए श्वास को बाहर छोडदे। इस तरह ये प्राणायाम कम से कम  ३ बार अवश्य करे। अधिक से ११ से १२ बार तक कर सकते हो।
        मन में यह दिव्य संकल्प या विचार होना चाहिए की मुज पर भगवन की करुणा ,शांति व् आनंद बरस रहा है। इस प्रकार शुद्ध भाव से यह प्राणायाम करने से एक दिव्य ज्योति आगना चक्र में  प्रकट होता है और ध्यान स्वत: होने  लगता है।

लाभ:

        मानसिक तनाव,उत्तेजना,उच्च रक्तचाप,हदयरोग आदि दूर होता है। ध्यान  के लिए उपयोगी है। 

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